ISRO Ka Full Form: हेलो आप सभी का स्वागत है मेहर टेक हिंदी साइट पर. यहाँ आपको technology, blogging, और education की जानकारियां मिलती है. ISRO का Full Form क्या है और इसरो के बारे में पूरी जानकारी, आज हम बात करने वाले है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था के बारे में जैसे कि ISRO क्या है, ISRO का फुल फॉर्म क्या होता है. ISRO की पूरी जानकारी हिंदी में दिया जाएगा.
अगर आप भारत के रहने वाले है तो ISROभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था के बारे में जरूर सुने होंगे क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था भारत की अंतरिक्ष और जमीन पर तथा रक्षा सामग्री, रक्षा मशीन और भी कई काम करते है. ISRO में नई-नई टेक्नोलॉजी और बृह्मांड, पृथ्वी, चंद्रमा, मंगल के बारे में रीसर्च करती है. आज हमारे भारत मे आई Space Research में कामयाबी की पहली सीढ़ी है ISRO क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था ने कई ऐसे काम किये है जो हम सभी को जानकार गर्व होता है.
भारत आज तकनीकी रिसर्च के क्षेत्र में बहुत आगे हो चुकी है क्योंकि कुछ दिन पहले भारत के पास अपनी सुरक्षा करने के विमान और मिसाइल भी नही थी. लेकिन आज भारत इस मुकाम पर है कि हमें कोई अब आंख नही दिखा सकता है. भारत को कामयाबी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था ने दिलाई है चाहे वो Fighter Plane हो सेटेलाइट हो सभी क्षेत्रों में हमारी भारत पिछले 40 सालों में बहुत ज्यादा विकास किया है.
ISRO Ka Full Form (इसरो का फुल फॉर्म)
आइये जानते है कि हमारी स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) का फुल फॉर्म क्या होता है तो आपको बता दु की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था का फुल फॉर्म “Indian Space Research Organization” होता है जिसे हिंदी में “भारतीय अंतरिक्ष अनुसंसाधन संगठन” कहा जाता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था Space सेक्टर में बहुत अच्छी कामयाबी हासिल की है. आइये अब इसरो के बारे में कुछ और जानकारी हासिल करते है.
इसरो क्या है – What is ISRO in Hindi
इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को किया गया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था भारत की अंतरिक्ष अनुसंसाधन संगठन है. जो स्पेस में नए रिसर्च करती है. ISRO का Headquarter Bangalore में है. आज इस स्पेस एजेंसी में रिसर्च करने के लिए भारत की कई हजार वैज्ञानिक काम करते है. जो हमारी देश के लिए कई प्रकार के जानकारी इकट्ठा करती है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था का हमारी देश में तकनीकी जानकारी खोजने और राकेट, ग्रह, उल्कापिंड, शुद्रग्रह इत्यादि की खोज करना और जानकारी देना होता है. साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था ने हमारी सेना के लिये कई प्रकार के Fighter Plane को हमारी सेना के हवाले किया है.
ISRO भारत को स्पेस रीसर्च के अलावा, सैन्य ताकत बढ़ाने, और भारत की आंतरिक परेशानियों को Solve करते आ रही है. भारत ने इस संस्था के दम पर स्पेस रिसर्च में काफी तरक्की की है. ISRO ने शुरू से ही अपनी कार्य करने की कौशल और क्षमता से हम सभी का मनोबल बढ़ाया है.
ISRO की कामयाबी में किसका हाथ है?
दोस्तो जैसे कि ये भारत की संस्था है तो इसरो का निर्माण करने में भारत सरकार की अहम भूमिका है. परंतु जिन्होंने इस संस्था की कल्पना की थी वो थे डॉ विक्रम साराभाई जिन्होंने ISRO की नींव रखी थी. साथ हम सभी धन्यवाद उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की करनी चाहिए.
उनका सपना था कि भारत स्पेस रीसर्च सेक्टर में और खास करके राष्ट्र की रक्षा को लेकर बहुत चिंतित थे. वे मिसाइलें और रक्षा विमान के क्षेत्र में कामयाबी पाना चाहते थे. और वही काम अभी तक चल रहा है. जब से इसरो बनी है तब से आज तक न जाने कितनी काम भारत की सुरक्षा और स्पेस में रिसर्च कर जानकारी पहुँचाया है.
आज हमारे सैनिक के पास जो नए तकनीकी से लैस विमान और समान उपलब्ध है उनको उपलब्ध कराने में इस्रो का बहुत बड़ा योगदान रहा है. हमनें कई देशों से रक्षा विमान खरीदा था और ISRO ने उस पर भी रिसर्च करके नई तकीनीकी को जोड़ा है. आइये अब हम इसरो की कामयाबी के बारे में जानते है.
ISRO का इतिहास?
अब हम इसरो के द्वारा कुछ बड़े कामों के बारे में जानते है जोया हमारे देश के लिए बहुत गर्व की बात है. इस्रो 1969 से ही अपनी सेवाओं से हमें नई उपलब्धियां प्रदान करती जा रही है.
- भारत का पहला उपग्रह जो आर्यभट्ट वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया था वो इस्रो ने 19 April 1975 को अंतरिक्ष में प्रवेश करने के लिए भेज गया था. साथ ही आर्यभट्ट नाम से इस मिशन में हमें ज्यादा कामयाबी नही मिली थी. लेकिन उस टाइम में इतनी बड़ी काम भी किसी अजूबा से कम नही था.
- भारत की तरफ से एक उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था. जिसका नाम था भास्कर जो करीब 445 KG का था.
- 1980के दशक में भारत का पहला मानव निर्मित उपग्रह रोहिणी बनकर तैयार हो गया था.
- उसके बाद चंद्रयान-1 को 22 October 2008 में चाँद की परिक्रमा कराने में सफल रही थी.
- उसके बाद 2014 में भारत की इस्रो ने एक स्वदेशी क्रायोनिक इंजन का उपयोग करने में सफल रहा था.
- उसके बाद सितंबर 2014 में मंगल ग्रह पर परिक्रमा करने वाली मंगलयान के सफल परिक्रमण किया गया था. साथ ही इसी कोशिश के कारण पूरी दुनिया मे हमारी भारत की छवि में चार चांद लग गया था. जब मंगलयान को कामयाबी मिली थी. और भारत की इसरो ने पहकी ही कोशिश में ये कामयाबी हासिल कर ली थी. उसी समय भारत मंगलयान में प्रथम कोशिश में जाने वाली विश्व की पहला देश बन गया था.
- इस्रो ने यहाँ भी नही रुका मंगलयान को सही से पहुँचाने के बाद फिर उसके 1 साल बाद ही 29 सितंबर 2015 में एस्ट्रोसैट के रूप में एक वेधशाला अंतरिक्ष मे खोल गया था. ये भारत की पहली अंतरिक्ष वैधशाला भी थी.
- इतना ही नही इस्रो ने हाल ही में किये एक शोध में कुछ हद तक सफलता हासिल की थी. हमें याद है 22 July 2019 जब चंद्रयान-2 को विक्रम लैंडर के साथ चाँद पर शोध करने का प्रयास कर रहा था. लेकिब ये मिशन कामयाब नही हो पाई है. क्योंकि चंद्रयान-2 को सही से लैंड कराने में कामयाब नही हो पाए थे.
Sarkari Naukri की जानकारी कैसे पता करें?
AIIMS क्या है और AIIMS की तैयारी कैसे करें?
ITI क्या है और हम आईटीआई में जॉब कैसे ले सकते है
NEET क्या है और नीट की तैयारी कैसे करें?
CID और CBI में क्या अंतर है?
CBSE और ICSE में कौन सा बोर्ड है सबसे बेहतर
10th और 12th का Online Result कैसे देखे?
हमारी नोटों पर जो मंगलयान देखते है वो ISRO का ही दिया है. हम सभी को हमारी स्पेस संस्थान इसरो पर गर्व है.
Conclusion
दोस्तों आज हमने इसरो इस्रो के बारे में पूरी जानकारी बताया गया है. जैसे कि इसरो का फुल फॉर्म, ISRO का इतिहास, ISRO क्या है, ISRO कब स्थापित किया गया था. आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट में बताए.