छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्टी को मनाया जाता है। Chhath Puja हिंदुओं का एक मशहूर त्योहार है। सूर्यउपासना का ये पर्व से भारत के 5 से 6 राज्य में ज्यादा मनाया जाता है। अगर संछिप्त में कहा जाए तो छठ बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाले सबसे पॉपुलर त्योहार है। क्योंकि ये कुछ राज्यों के सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इसी कारण से Chhath Puja को इस राज्यों से बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। क्योंकि ये पर्व बहुत ही रस्मों-रिवाज़ से भरा हुआ है।
Chhath Puja एक सांस्कृतिक से जुड़ हुआ पर्व है जो कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। आपको बता दे कि ये इतना ज्यादा प्रमुख त्योहारों से एक त्योहार है कि, छठ पर्व को सबसे उच्च दर्जे का पर्व माना जाता है। अब तो छठ पर्व बिहार की संस्कृति बन चुकी है। क्योंकि इस त्योहार मतलब छठ पूजा को बिहार में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। आज की इस लेख में Chhath Puja के बारे में जानने को मिलने वाला है।
जैसे कि Chhath Puja क्या है, छठ पर्व क्यों मनाया जाता है, छठ पर्व कब और क्यों मनाया जाता है, छठ पूजा की शुरुवात कहाँ से हुई है। छठ पूजा 2023 कब है, Chhath Puja Hindi, छठ पूजा गीत, Chhath Puja Songs 2023 और छठ पूजा पर लेख के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगा।
Chhath Puja कब और क्यों मनाया जाता है?
छठ पूजा में सूर्य देव और गंगा माता के साथ-साथ शुरू होती है और सूर्य के आराधना पर ही छठ पूजा समाप्त हो जाती है। छठ पूजा में बहुत सारे फल और नई-नई वस्त्र का उपयोग किया जाता है। छठी मैया की विधि विधान से किया जाने वाला त्योहार बहुत अहम है।
झारखण्ड और बिहार समेत पूरी भारत में पूरी धूम-धाम स्व मनाई जाती है। क्योंकि प्रवासी लोगों को और अपनी बिजनेस को लेकर लोग पूरी भारत में इधर से उधर कही भी रहने लगते है। आपको बता दु की अब भारत में हर जगह ही छठ पूजा पर्व मनाया जाने लगा है। लेकिन सबसे ज्यादा इस पर्व का ज्यादा महत्व बिहार में ही दिया जाता है।
कहा जाता है की यह एक मात्र बिहार और भारत का त्योहार है जो पौराणिक जमाने से चल आ रहा है। लेकिन Chhath Puja की महत्व में किसी भी प्रकार की कोई कमी नही दिखी। छठ पूजा का इतिहार वैदिक काल से चला आ रहा है। ये पर्व जब भी बिहार, झारखण्ड और UP के पर्व का जिक्र होगा तब-तब Chhath Puja का नाम सबसे पहले आएगा।
छठ पूजा का महत्व क्या है?
यह एक मात्र ऐसा पर्व है जो सदियों से बहुत परानी कितना ऋग्वेद में लिखी गयी सूर्य पूजा, ऊष्मा पूजा और आर्य परंपरा के अनुसार अभी तक पूरी निष्ठा के साथ मनाते आ रहे है। क्योंकि ये छठ की कहानी बहुत पुरानी है इसी कारण से इस पर्व को और सभी त्योहारों से ज्यादा महत्व दिया जाता है।
Chhath Puja को लोग बिहार में कई अन्य धर्म के लोगों के द्वारा भी बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। साथ ही बहुत से धर्म को लोगों को छठ पूजा को आस्था का पर्व को महत्व देते है। मतलब की इस पर्व में सभी धर्म के लोगों को बहुत ज्यादा आकर्षण देखने को मिलता है।
जहाँ सभी त्योहारों में सिर्फ अपनी -अपनी धर्म के लोगों द्वारा मनाते है व हार्दिक बधाई देते हुए देखे जाते है। लेकिन Bihar की Chhath Puja सभी पूजा व पर्व से बिकलुल ही अलग है। Chhath Puja को सभी धर्मों के लोगों के द्वारा एक सम्मामजनक नजरों से देखा जाता है।
बिहार की यह त्योहार सिर्फ बिहार तक ही सीमित नही है क्योंकि पहले तो छठ पूजा सिर्फ बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में ही मनाया जाता था। लेकिन अब हर जगह पर पूरे भारत में सभी तरह के लोग रहने लगे है।
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कोई बिजनेस कारण या कोई और भी कारणवश कही दूसरे राज्य में रहने लगे है। और जब भी छठ पूजा का समय आती है वे वहाँ मनाया करते है। इसी तरह से लगभग पूरे भारत वर्ष में सभी राज्यों के द्वारा Chhath Puja मनाया जाता है।
Chhath Puja को सूर्य, जल, प्रकर्ति, जल और उनकी छठी मइया को समर्पित है। आपको बता दे कि छठी मइया को मिथिला में रणबे माय भी कहा जाता है। हालांकि छठ को ज्यादातर राज्यों और लोगों के बीच में छठ पूजा ही बोला जाता है।
लेकिन किसी – किसी त्योहार को अलग नामों से भी जाना जाता है ठीक उसी प्रकार से छठ पूजा को भी कई राज्यों में अलग अलग नामों से जाना जाता है। आपको बता दे कि Chhath Puja को भोजपुरी में सबिता माई और बंगाली में रणबे ठाकुर के नाम से भी जाना जाता है।
छठ पूजा पार्वती का छठा रूप और साथ ही भगवान सूर्य देव की बहन छठी माता को ही देवी के रूप में त्योहार के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा में बहुत सारी नियम का पालन करना होता है। जो लोग छठ का व्रत करते है और जो लोग त्योहार को मानते है। उनलोगों के द्वारा इस त्योहार को बड़ी मान्यता पूर्ण तरीकों से मनाया जाता है।
आगे हम सिखनेगे की आखिर छठ पूजा का अविष्कार कहा से हुई है। और छठ पूजा मनाने की विधि के बारे में जानने का मौका मिलेगा। क्योंकि छठ पूजा तो एक मिसाल सभी हिन्दू पर्व को लेकर। आये जानते है कि हम छठ पूजा क्यों मनाते है।
छठ पूजा कैसे मनाते है?
छठ पूजा हिंदुओं की सबसे पवित्र त्योहारों से एक है। जो हर साल अपनी समय अनुसार बिहार, झारखण्ड, बंगाल और उत्तर प्रदेश के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला सबसे Popular Festival है। यह पर्व में सूर्य देव और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है।
छठ पूजा में कठोर नियम का पालन कर लोगों द्वारा बड़ी सहजता के साथ मनाया जाता है। बहुत सारी कहानियां और परंपरा के अनुसार मनाई जाने वाली छठ पूजा भारत की सबसे पुरानी किताब ऋग्वेद से लिया गया है।
साथ कि छठ पूजा भारत की सबसे पुरानी और सदियों से मनाई जाने वाली त्योहारों में से एक है। छठ पूजा को चार दिन की अवधि में मनाए जाता है। इस पवित्र त्योहार में गंगा स्नान, उपवास, लंबे समय तक पानी में खड़ा रहना और प्रसाद ग्रहण करना शामिल है।
साथ ही Chhath पूजा में सबसे मुख्य का होता है अर्ध्य देना सबसे जरूरी है। इस पर्व में प्रसाद के रूप में मुख्य रूप में ठेकुआ के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यह त्योहार बहुत ही ज्यादा मनाया और महत्व वाली त्योहार है। इसी कारण से छठ पूजा में ठेकुआ प्रसाद को बहुत अहम महत्व दिया जाता है।
छठ पूजा को मनाने वाले परमपरिक और कार्य में ज्यादातर महिलाओं का योगदान ज्यादा होता है। इस पर्व में ज्यादातर काम महिलाओं द्वारा किया जाता है। लेकिन ये एक लिंग विशेष त्योहार नही है। क्योंकि छठ पूजा को अभी लोग चाहे स्त्री हो जा पुरुष हो सभी को बहुत ही हर्षो उल्लास के साथ मनाते है।
छठ पर्व कहाँ मनाया जाता है?
Chhath Puja त्योहार राज्य से संबंधित त्योहार है जो कि बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश के लोगों द्वारा ज्यादातर मनाया जाता है। लेकिन सभी लोग मिलजुलकर रहने के कारण ये Chhath Puja पूरे भारत के सभी राज्य में मनाया जाता है।
साथ ही आपको ये भी बता दु की अभी राज्य में और पूरे भारत में छठ पूजा मनाने के साथ-साथ यह त्योहार नेपाल देश में भी मनाया जाता है। क्योंकि नेपाल भारत से बिल्कुल पड़ोसी देश है और साथ ही नेपाल में बहुत हिन्दू रीतिरिवाज को मानने वाले लोग रहते है।
लेकिन बहुत ज्यादा प्रचलित छठ पूजा को नेपाल में नही बल्कि भारत में दिया जाता है। हमारी संस्कृति इतनी सुंदर है और इतना बेहतर है यह जानकारी देने वाला पर्व छठ पूजा का महत्व सभी लोगों को करना चाहिए।
छठ की शुरुवात कहाँ से हुई है?
छठ पूजा मनाने की शुरुवात बिहार के मुंगेर जिले से से शुरु हुई है। ऐसा माना जाता है कि माता सीता ने सबसे पहले छठ पूजा मुंगेर में ही मनाई थी। मुंगेर में ऐतिहासिक रूप से सीता मनपत्थर (सीता चरण) मंदिर के लिए माना जाता है। यही कारण है कि बिहार छठ पूजा को मनाने वाला प्रथम राज्य है।
मतलब की बिहार के लोग उच्च स्तर पर Chhath Puja को मानते है और बहुत खुशी के साथ भी मनाते है। आपको बता दे कि मुंगेर में गंगा के बीच में एक शिलाखण्ड भी मौजूद है। यही कारण है कि बिहार में इस त्योहार को अलग रूप से मनाया जाता है।
छठ पूजा की तैयारी कैसे करते है?
छठ पूजा की तैयारी की करें तो इस त्योहार में ज्यादातर फल का उपयोग किया जाता है। जिस कारण से लोगों को मार्केट से फल, फूल, नारियल, सेब इत्यादि को लाना होता है। छठ पूजा से संबंधित सभी प्रकार की चीजों को बहुत संभाल कर रखा जाता है।
जैसा कि आपको पहले ही बताया गया है कि Chhath Puja में सभी बिना सिलाई किये कपड़ो को ज्यादा पहनते है इसी कारण से बाजार से कपड़ो की खरीदारी भी करनी होती है। आइए अब जानते है कि छठ पूजा में और किस प्रकार की तैयारी किया जाता है।
छठ पूजा गंगा स्नान से भी संबंधित त्योहार है जिसके कारण से जब Chhath आती है तो लोग अपनी घर की साफ-सफाई के अलावा गंगा नदी के तट भी साफ-सफाई का प्रबंध करते है।
इसके अलावा गनाग घाट को सुंदर और केलों की पेड़ो द्वारा सजाया जाता है। साथ तट पर लाइट और बेहतर रास्ता आने-जाने के लिए बनाया जाता है। इस सभी प्रकार की तैयारी chhath puja के पहले देखने को मिलता है।
1. छठ पूजा का नामकरण कैसे हुआ?
2. छठ पूजा मनाने का वैज्ञानिक कारण क्या है?
3. छठ पूजा साल में कितने बार मानता जाता है?
4. छठ पूजा साल भर में किस तिथि को मनाई जाती है?
5. छठ पूजा से संबंधित पौराणिक और लोक कथाएँ के बारे में?
6. छठ पूजा से सामाजिक महत्व क्या है?
7. छठ गीत
8. छठ पर्व की शुभकामनाएं और संदेश
छठ पूजा किस प्रकार मनाते है?
आइए अब जानते है कि हम छठ पर्व को किस प्रकार मनाते है। हम छठ के दिन क्या करते है, क्या खाते है एयर छठ के दिन किस प्रकार के कपड़े को पहनते है। क्योंकि छठ पूजा के दिन बहुत ज्यादा काम होता है।
छठ पूजा को हिन्दू लोगों के द्वारा लगभग चार दिनों तक मनाया जाता है। आपको बता दे कि छठ पर्व की शरुवात सबसे पहले भैयादूत के दिन से शुरू होती है। इसके पहले दिन घी से बना हुआ अरवा चावल, सेंधा नमक, और कद्दू की सब्जी को भी प्रसाद के रूप में लिया जाता है।
उसके बाद अगले ही दिन से उपवास चालू हो जाता है। जो व्रत रखकर महिलाएं दिन भर खाना का त्याग करती है फिर शाम को 6 बजे ही खीर खाकर पूजा करने के बाद ग्रहण करते है। आपको बता दे कि छठ के तीसरे दिन भी बहुत परमपरिक तरीकों से डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य अर्पण करते है और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य चढ़ाते हुए Chhath Puja सम्पन्न किया जाता है।
छठ पूजा में कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है, क्योंकि छठ पर्व एक पवित्र त्योहार के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा के समय जिस घर में पूजा होती है उस घर में प्याज और लहसुन खाना मना किया जाता है।
नहाय खाय
Chhath Puja का पहला दिन होता है नहाय खाय का दिन। इस दिन जो व्रत रखने वाली महिलाएं होती है। वो अपने घर और आस-पास की सफाई करते हुए अपने घर के नजदीक गंगा या तालाब में जाकर स्नान करते है। साथ ही अपने साथ एक बर्तन में गंगा जल को लेकर आते है।
इस दिन महिलाएं अपने नजदीक गंगा या तालाब में अच्छी तरह से नहाने के बाद ही जाते है। इस दिन महिलाएं दिन में सिर्फ एक बार ही खाना खाते है। और जब शाम को खाते है तो खाने में कद्दू की सब्जी, मूंग चना दाल, चावल, का प्रयोग करते है। Chhath Puja में तली भुनी हुई चीज का खाना वर्जित है। साथ ही Chhath Puja के दिन आम के लकड़ी और मिट्टी के चूल्हे पर ही खाना बनाया जाता है। जिसका इस्तेमाल प्रथम में व्रती करती है फिर बाद में सभी परिवार वाले खाना खाते है।
खरना और लोहंडा
खरना और लोहंडा Chhath Puja के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन व्रती जो उपवास रखते है वे एक अन्न तो दूर की बात है एक दाना भी नही खाती है, जब तक सूर्यास्त न ही जाए। सजे उसके बाद उसी दिन शाम को चावल और गुड़ से मिलकर खीर बनाया जाता है। Chhath Puja के खरना लोहंडा के दिन नामक और चीनी खाना वर्जित है।
वही खीर को पुनः सूर्य देव को नैवेद्य देकर एक शांत जगह पर बैठकर उसे खाते है। सभी परिवार वालों को घर से दूर बाहर भेजकर कर खाना खाते है, ताकि कोई शोर न हो। क्योंकि छठ पूजा की इस दिन एकांत में खाना खाया जाता है। और किसी भी प्रकार का आवाज सुनने पूजा के विरुद्ध है।
फिर उसमें बाद वही खीर और रोटी अपनी सभी परिवार वालों को खिलाते है। जो कि बाद में प्रसाद के रूप में भी वितरित की जाती है। आपको बता दे कि इसके बाद अगले दिन भी व्रती लगभग 36 घंटों के लिए निर्जला व्रत रखती है। फिर रात में व्रती प्रसाद के लिए ठेकुआ बनाती है। जो कि Chhath Puja के लिए स्पेशल माना जाता है।
संध्या अर्ध्य
Chhath पर्व का तीसरा दिन शाम को जिसे छठ अर्ध्य के नाम से जाना जाता है। इस दिन पूरे दिन भर शाम को होने वाले संध्या अर्ध्य की तैयारी करते है। इसके लिए Chhath Puja का प्रसाद ठेकुआ और सभी प्रकार के जरूरी पकवान बनाया जाता है। उसके बाद एक बांस की बनी हुई सुप या दउरा में पूजा के लिए प्रसाद और फल लो लेकर जाते है।
दउरा में सभी प्रकार के छठ पूजा का सामान जिसमें नारियल समेत और भी पांच प्रकार के फक रखते है और एक परिवार के किसी पुरुष को अपने माथे पर लेकर गंगा घाट के लिए निकलते है। इस दौरान सभी महिलाएं Chhath गीत 2023 और Chhath Songs 2023 नही गाती जाती है।
फिर उसके बाद शाम को ही गंगा घाट पर पहुँच कर सभी लोग एक जगह होकर परिवार के किसी एक सदस्य घुटने भर पानी में खड़े हो जाते है और फिर सूर्य अस्त होने के समय पांच परिक्रमा करते है।
उषा अर्ध्य
Chhath Puja के चौथे दिन सुबह जब सूर्य निकलने वाला होता है। जब सूर्य उदय होने की कगार पर होता तो फिर शाम की तरह की परिवार के सभी लोग घाट पर जाते है और उसी प्रकार से उगते हुए सूर्य को भी पूरब की ओर मुंह करके खड़े होते हैं व सूर्य की उपासना करते है।
फिर पूजा अर्चना करने के बाद ही घाट पर ही समाप्तरोपन का पूजन होता है। साथ ही वहाँ रह रहे सभी लोगों को प्रसाद का वितरण कर घर की दिशा में लौटते है। व्रती घर वापस आकर किसी पीपल का पेड़ जिसे हम अपनी भाषा में बर्ह्म बाबा के नाम से जानते है। तो पीपल का पेड़ का भी पूजा करते है। इसके बाद व्रती कच्चे दूध का सरवत पीकर और प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करते है।
छठ पूजा 2023 कब है?
2023 में Chhath Puja अक्टूबर माह में 28 तारीख को है। Chhath Puja 2023 17 November, 2023 को नहाय खाय से शुरू होगी। फिर 18 November, 2023 को खरना होगा। उसके बाद 23 November, 2023 को संध्या अर्ध्य है।
छठ पूजा के बारे में
आज की इस लेख में Chhath Puja क्या है, छठ पर्व कब और क्यों मनाया जाता है, छठ पूजा की विशेषता, छठ पूजा का महत्व, छठ पूजा कैसे मनाते है। Chhath Puja से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी दिया गया है।
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FAQ for छठ पूजा
छठ पूजा क्या है?
छठ पूजा सदियों से चली आ रही एक हिन्दू त्योहार है। जिसमें सूर्य, वायु, जल की बहन छठी मईया को पूजा जाता है।
छठ पूजा कब और क्यों मनाया जाता है?
छठ पूजा पूरे साल भर में दो बार मनाया जाता है। एक चैट और दूसरा कार्तिक में मनाया जाता है। छठ पूजा पारिवारिक सुख – समृद्धि के लिए मनाया जाता है।
छठ पूजा के दौरान क्या नही करनी चाहिए?
छठ पूजा के समय किसी भी प्रकार की आवाज या शोर नही मचाना चाहिए। क्योंकि छठ पूजा एक शांति का पर्व है। तथा चार दिन तक सभी परमपरिक नियमों का पालन करना चाहिए।